Friday, July 13, 2012

डॉ. बुडविग और उनके शिष्य लोथर हरनाइसे

डॉ. बुडविग और उनके शिष्य लोथर हरनाइसे

कई वर्षों पहले मैं पीपुल अगेन्स्ट कैंसर के अध्यक्ष श्री फ्रैंक व्हिवेल से साक्षात्कार करने अमेरिका गया था। उन्होंने मुझे पहली बार डॉ. बुडविग और उनके ऑयल-प्रोटीन आहार के बारे में बतलाया। उन्होंने कहा कि वह फ्रुडेनस्टेड में रहती है, जो मेरे शहर स्टुटगर्ट से मात्र 65 किलोमीटर दूर है, इसलिए मुझे उनसे मिलना चाहिये। बुडविग कई सालों से उनके सम्पर्क में थी और वे उनसे बहुत प्रभावित थे। उन्होंने बुडविग को फोन करके मुझसे मिलने के लिए समय भी तय कर लिया। यह अप्रेल 1998 की घटना थी। जर्मनी आते ही मैं बड़ा उत्साहित होकर क्लॉस पर्टल के साथ उनसे मिलने गया। उनके व्यक्तित्व में जादू जैसा सम्मोहन था। पहली ही मुलाकात में हमारे घनिष्ट सम्बन्ध बन गये। तीसरी मुलाकात में तो मैंने उन्हें फ्रैंकफर्ट और स्टुटगर्ट में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित कर दिया था। पहले तो उन्होंने तुरन्त मना कर दिया लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने मुझे फोन करके अपनी स्वीकृति दे दी। और इस तरह कई दशकों के बाद 23 और 24 सितम्बर, 1998 को उन्होंने क्रमशः फ्रैंकफर्ट और स्टुटगर्ट में व्याख्यान दिये, जिनमें लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। इसके 6 महीने बाद उन्होंने फ्रुडेनस्टेड में मेरे जन्मदिन पर एक और व्याख्यान दिया, जिसमें फ्रैंक व्हिवेल भी मौजूद थे। उनके इस तोहफो को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा।  
मैं सचमुच बहुत भाग्यशाली था कि कई वर्षों तक ऐसी विदुषी महिला के सानिध्य में रहा। वे मुझे पोषण, कैंसर, आध्यात्मिकता और चिकित्सा शास्त्र के बारे में विस्तार से बतलाती थी। हां, वे दिन में एक घंटा जरूर आराम करती थी। कई बार हम साथ-साथ शैम्पेन पीते थे। वह साधारण महिला नहीं थी। कभी-कभी वे मुझे डांट भी देती थी, फिर दूसरे दिन सहजता से मुझे समझाती कि उन्होंने मुझे क्यों टोका था।
आपको बतला दूँ कि बुडविग ने कभी विवाह नहीं किया। उनका पूरा जीवन विज्ञान और मानवता को ही समर्पित रहा और उन्होंने सिर्फ वैज्ञानिकों और चिकित्सकों से ही सम्बन्ध रखे। रिश्तेदारों में किसी को उनके ऑयल-प्रोटीन आहार के बारे में सुनने का समय नहीं था। उनका जीवन सचमुच इतना नीरस था। बस वे कभी-कभी खुश होती थी कि उम्र के आखिरी पड़ाव में एक मैं तो हूँ, जो उनकी हर शोध हर तर्क को तल्लीनता से सुनता हूँ, समझता हूँ।
एक दिन उन्होंने अपनी शोध के बारे में एक संक्षिप्त पुस्तक लिखने की इच्छा जाहिर की और मुझे मदद करने को कहा। इस दौरान मैं रोज उनके घर जाता था। वे रोज वे ढेरों फाइलें निकल कर किसी एक मेज पर तैयार रखती थी और मझे बारीकी से हर बात समझाती थी। उनके कमरे में तीन मेजें रखी रहती थी। वे अपनी उम्र (90वर्ष) के हिसाब से मानसिक और शारीरिक तौर पर बहुत सक्षम थी। हमारे बीच वार्तालाप के मुख्य विषय फैट और इलेक्ट्रोन्स हुआ करते थे। और इस तरह कैंसर द प्रोब्लम एण्ड द सोल्यूशन पुस्तक लिखी गई।
इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद उन्होंने अपनी सर्वश्रेष्ठ पुस्तक ऑयल-प्रोटीन कुकबुक को नये सिरे से लिखने की इच्छा जाहिर की। हमने काम शुरू भी कर दिया था, लेकिन उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा था। इसलिए उन्होंने कहा कि चलो पुस्तक के पुराने संस्करण में कुछ नये अध्याय जोड़ कर ही प्रकाशित कर देते हैं। लेकिन यह कार्य भी पूरा नहीं हो सका और वे ईश्वर को प्यारी हो गई। मेरे 3-ई कार्यक्रम का आधार भी यही महान पुस्तक है।
दुर्भाग्यवश उनका कोई वैज्ञानिक उत्तराधिकारी नहीं है। उन जैसी विद्वान का कोई विकल्प हो भी नहीं सकता है। मैं तो हमेशा उनका शिष्य ही रहूँगा और उनकी शोध और उपचार को लोगों तक मूल रूप में पहुँचाता रहूँगा। 
लोथर हरनाइसे का साक्षात्कार
(जो ऑनलाइन जर्मन पत्रिका कैंसर व्हिस्परर में प्रकाशित हुआ)

प्रश्न - श्री हरनाइसे आप ऑयल-प्रोटीन डाइट के बारे में कैसे जानते हैं?
उत्तर - यह एक मजेदार कहानी है, मैं हजारों मील दूर आयोवा, अमेरिका में पीपुल अगेन्स्ट कैंसर के अध्यक्ष श्री फ्रैंक व्हिवेल से मिलने गया था। उन्होंने मुझे डॉ. जौहाना बुडविग के बारे में बतलाया और मुझसे मिलने के लिए उन्हे फोन करके समय भी तय कर लिया। सबसे अजीब बात यह थी कि वे मेरे घर से कुछ ही मील दूर डाइटर्सव्हीलर में रहती थी।
प्रश्न - तब वे कितने वर्ष की थीं?
उत्तर - उस समय वे 89 वर्ष की थीं, नियमित रोगियों से मिलती थीं और शारीरिक तथा मानसिक रूप से बहुत ऊर्जावान और तेजस्वी लगती थी। वे बहुत मिलनसार थीं और उन्होंने मेरा बड़े प्यार से स्वागत किया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं इस सदी की महान चिंतक, वैज्ञानिक और खोजकर्ता से साक्षात्कार कर रहा हूँ। आधे घन्टे तक बातचीत करने के बाद उन्होंने मुझे दोबारा मिलने के लिए कहा।  
अगली बार उन्होंने मुझे उनकी फाइलें, शोध-पत्र और मरीजों की रिपोर्ट्स पढ़ने के लिए दी। यह बहुत आश्चर्यजनक घटना थी, क्योंकि मैं जानता था कि वे अपनी फाइलें किसी को भी नहीं देती थी। यह मचमुच मेरे लिए बहुत सम्मान की बात थी। बाद में उन्होंने मुझे बताया था कि मेरी जिज्ञासा, तर्क-शक्ति और कैंसर उपचार में मेरी रुचि को वे पहली मुलाकात में ही भांप चुकी थी। मैंने उनके साथ कुछ वर्ष बिताये। मैं अक्सर उनके घर जाता। वे खाने के लिए बाहर जाना पसन्द नहीं करती थी। वे स्वयं ही खाना बनाती और मैं उनकी मदद करता था। वे मुझसे ढेरों बातें करती रहती थी। मैं उनका आज्ञाकारी शिष्य बन गया था। वे मेरे हर सबाल का जवाब देती थी। वे समझ चुकी थी कि मैं उनके उपचार को सामान्य लोगों तक पहुँचाना चाहता हूँ। उन्होंने कहा कि वे एक पुस्तक लिखना चाहती हैं और उनकी इच्छा थी कि इसमें मैं उनकी मदद करूँ।  
प्रश्न - उनकी कौन सी बात ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया?
उत्तर - ऐसी तो बहुत सारी बातें हैं। उन्होंने अपने जीवन के 70 वर्ष सिर्फ विज्ञान और मानवता के लिए समर्पित कर दिये थे। इसके अलावा इस अकेली महिला नें अपनी जान की परवाह न करते हुए शक्तिशाली और सम्पन्न मार्जरीन और फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री द्वारा की गई अनादर, अवमानना और उत्पीड़न का डट कर मुकाबला किया। वे बहुत बुद्धिमान और असाधारण प्रतिभा की धनी थी और उन्हें विज्ञान और चिकित्सा-शास्त्र की गहरी जानकारी थी। वे मेरे प्रश्नों के तुरन्त सटीक और स्पष्ट जवाब देती थी। 
प्रश्न - ऑयल-प्रोटीन डाइट में ऐसी क्या बात है कि आप इसे कैंसर की सबसे अच्छी आहार-चिकित्सा मानते हैं? 
उत्तर - आपके इस प्रश्न का जवाब देना मेरे लिए सबसे आसान है। मैंने डॉ. बुडविग की फाइलों में लगे उन रोगियों के अनगिनत पत्र पढ़े हैं, जो इस उपचार से ठीक हुए और उन्होंने बुडविग का धन्यवाद करने के लिए ये पत्र लिखे हैं । मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ कि मैं डॉ. बुडविग के इस आहार-चिकित्सा से ठीक हुए सैंकड़ों रोगियो से स्वयं मिला हूँ या उनसे पत्राचार कर चुका हूँ। फिर पिछले 14 वर्षों से मैं स्वयं कैंसर के रोगियों का उपचार कर रहा हूँ। ये सारे अनुभवों के आधार पर ही मैं ऑयल-प्रोटीन डाइट को संसार की श्रेष्ठतम आहार-चिकित्सा मानता हूँ।    
प्रश्न - आज विज्ञान में निरंतर प्रगति कर रहा है। क्या आज हम ऑयल-प्रोटीन आहार के गूढ़ विज्ञान को बेहतर ढ़ंग से समझ सकते हैं?
उत्तर - मुझे नहीं लगता कि हम सचमुच सही दिशा में प्रगति कर रहे हैं। हां, यह तो सत्य है कि आज हम कोशिका-भित्ति, जीन्स या म्यूटेशन के बारे में पहले से ज्यादा जानते हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि हम ऐसी कोई नई बात जान पाये हैं कि हमें ऑयल-प्रोटीन आहार में कोई बदलाव लाने की जरूरत है। दूसरी तरफ ब्रूस लिपटन द्वारा जीन्स और कोशिका-भित्ति पर की गई शोध पी-53 ऐपोप्टोसिस जीन की कार्यप्रणाली और डॉ. बुडविग की शोध का सत्यापन करती है। पिछले कुछ वर्षों में मुझे कई सबूत मिले हैं जो ऑयल-प्रोटीन आहार के सिद्धांतों का सत्यापन करते हैं। मुझे बार-बार अचरज होता है डॉ. बुडविग कितनी बुधिमान थी जिन्होंने लगभग तीस वर्षों पहले ये सारी बातें लिखी, जिन्हें वे तब सिद्ध भी नहीं कर पाई थीं। परन्तु सच बताऊँ मुझे इन बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है, मैं यह अच्छी तरह जानता हूँ कि ऑयल-प्रोटीन आहार कितनी सफलता से कार्य करता है। इसके अलावा मुझे कुछ जानने की आवश्यकता भी नहीं है। मैं आपके बतला दूँ कि मैं वैज्ञानिक नहीं हूँ और विज्ञान की गूढ़ बातें मेरे सर के ऊपर से ही निकल जाती हैं। मैं तो बस ही चाहता हूँ कि बुडविग का यह विज्ञान और उपचार अपने मूल प्रारूप में लोगों तक पहुँचता रहे।      
प्रश्न - बुडविग ने मृत्यु के बाद क्या अपना कोई उत्तराधिकारी नियुक्त किया है?
उत्तर - यदि आप सचमुच उनको जानती होती तो यह प्रश्न नहीं पूछती।
प्रश्न - आपका अभिप्राय क्या  है?
उत्तर - एक बार चाय पीते-पीते हुए उन्होंने कहा था कि उनकी मृत्यु के साथ ईमानदार, सत्यवादी और अडिग वैज्ञानिकों की वह पीढ़ी समाप्त हो जायेगी, जो सिर्फ विज्ञान और लोगों की भलाई के लिये कार्य करती थी, जिन्हें न कभी पैसे का लालच रहा और न जिन्हें बहुराष्ट्रीय संस्थान खरीद सके। वह बिलकुल सही थी। जीवन भर वह अकेली लड़ती रही, लेकिन कोई उसके पास तक फटक नहीं सका। शुरू में तो मुझे लगा कि शायद वृद्धावस्था के कारण वह इतनी तनहा है, लेकिन बाद में उनके रिश्तेदारों से भी मालूम हुआ कि उसकी प्रकृति शुरू से ही ऐसी रही थी। इसलिए ऐसा सम्भव ही नहीं था कि कोई उसका उत्तराधिकारी बन सके।   
प्रश्न - तो आपका तात्पर्य यह है कि उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था?
उत्तर - दुर्भाग्यवश मेरा जवाब हाँ है।
प्रश्न - तो क्या हम आपको उनका उत्तराधिकारी मान लें?  उनके रिश्तेदारों के बारे में आप क्या कहते हैं?
उत्तर - मैं तो आपको अपने बारे में बतला सकता हूँ। बुडविग कभी अपने रिश्तेदारों के बारे में बात नहीं करती थी। और मैं स्वयं को उनका उत्तराधिकारी नहीं मानता हूँ। जो कुछ मैंने सुना है उसके आधार पर आपको बतलाता हूँ कि उनके रिश्तेदारो के पास न कभी उनके लिए समय होता था और न कभी उनके लिए चिंतित रहे होंगे।
जब बुडविग जीवित थी तब उन्होंने न कभी अपने किसी रिश्तेदार के साथ कोई कोई सेमीनार किया और न ही किसी के साथ कोई पुस्तक लिखी। शायद मैं ही सौभाग्यशाली हूँ कि मैंने उनकी आखिरी दो पुस्तकों के प्रकाशन में उनका पूरा सहयोग दिया और उनके कई व्याख्यान करवाये। उन्होंने अपना आखिरी व्याख्यान मेरे जन्म दिन पर उनके ही शहर फ्रुडेनस्टेड में दिया था। यह मेरे लिए उनका अमूल्य तोहफा था। जहाँ तक मैं जानता हूँ कि शायद मेरे सिवा किसी ने उनके मरीजों के दस्तावेजों को छुआ तक नहीं है।
प्रश्न - क्या आप उनके विज्ञान और उपचार को लोगों तक पहुँचा रहे हैं?  
उत्तर - मैं पिछले 14 वर्षों  से जर्मनी और पूरी दुनिया में भ्रमण कर रहा हूँ। मैं पूरे विश्व में व्याख्यान आयोजित करता  हूँ और लोगों को कैंसर के इस महान उपचार के बारे में जागरुक कर रहा हूँ। जर्मनी में हमने विश्वस्तरीय कैंसर उपचार केंन्द्र  (www.3e-zentrum.de) बनाया है, जहाँ कैंसर के रोगियों को बुडविग आहार दिया जाता है। मैं पिछले 15 वर्षों में 10,000 से अधिक कैंसर के रोगियों का साक्षात्कार कर चुका हूँ जो कैंसर पर विजय प्राप्त करके आज स्वस्थ जीवन बिता रहे हैं। अपने अनुभवों के आधार पर मैंने कैंसर उपचार के लिए 3-ई कार्यक्रम तैंयार किया है। बुडविग आहार इस 3-ई कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न - क्या ऑयल-प्रोटीन आहार के कुछ ऐसे रहस्य भी हैं जो बुडविग के साथ ही चले गये?
उत्तर - दुर्भाग्यवश, हां। साइटक्रोम ऑक्सीडेज़ के निदान और लेज़र उपचार की कुछ अहम जानकारियां उनके साथ ही चली गई हैं। कई नये व्यंजन और एलडी तेल की नई विधियां भी वे किसी को नहीं बतला पाई।
प्रश्न - एलडी तेल के बारे में बहुत कम लिखा गया है?
उत्तर - यह सही है। डॉ. बुडविग और मैंने ऑयल-प्रोटीन कुकबुक के नये संस्करण में एलडी तेल के बारे में विस्तार से लिखने की योजना बनाई थी। लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु हो जाने के कारण यह पुस्तक अभी तक प्रकाशित नहीं हो सकी है। लेकिन नये व्यंजन और एलडी तेल की विधियां मेरे पास सुरक्षित हैं। ऑयल-प्रोटीन कुकबुक का नया संस्करण आपको जल्दी ही मिल जायेगा, जिसमें एलडी तेल के बारे में विस्तृत जानकारी भी होगी। 

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